नीतीश कुमार ने क्यों बदला अपना मन, लालू के किस चोट से हुए आहत? इनसाइड स्टोरी

हाइलाइट्स

लालू प्रसाद यादव के ने आखिर क्या किया जिससे नीतीश कुमार आहत हो गए?
नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़ एनडीए में फिर जाने का फैसला क्यों किया?
क्या हुआ ऐसा कि नीतीश कुमार का महागठबंधन से अचानक मोहभंग हो गया?

पटना. बिहार में सियासी उथल-पुथल के बीच तमाम हलचल जारी है और कभी भी यहां सत्ता बदली का खेल खेला जा सकता है. अब लगभग साफ हो चुका है कि गठबंधन का बदलाव होना तय है. हालांकि, मुख्यमंत्री का चेहरा फिर वही पुराना नीतीश कुमार ही रहेंगे. लेकिन, सवाल यह कि जब सबकुछ एक चल रहा था तो फिर अचानक ऐसा क्या हुआ जो महागठबंधन से अचानक ही नीतीश कुमार खफा हो गए? राजनीति के जानकार बताते हैं कि इसके पीछे इसके अंदरखाने की कहानी बड़ी गहरी है.

इसके पीछे एक बड़ी कहानी ऐसी है जिसने नीतीश कुमार को बेहद ही आहत कर दिया और यह उनके मन और विश्वास दोनों को ही घायल कर गया. जब तस्वीर साफ हुई तो इसके बाद नीतीश कुमार ने अंत में पलटने का फैसला कर लिया. यह वह घाव था जो नीतीश कुमार के अपने नजदीकी लोगों ने भी दिया था. यह घाव नीतीश कुमार को इतना दर्द देने लगा कि अंत में उन्होंने गठबंधन परिवर्तन का मन बना लिया. उस भाजपा के साथ फिर जाने के लिए तैयार हो गए जिसके खिलाफ विपक्षी पार्टियों की देशव्यापी गोलबंदी उनके नेतृत्व में ही हुआ.

इस घाव को कुरेदने का काम हाल के दिनों में लगातार मंत्री चंद्रशेखर, सुनील सिंह, सुधाकर सिंह समेत और राजद के अन्य कई नेता करते रहे. इस दौरान नीतीश कुमार चुप रहे, बावजूद इसके राजद की तरफ से उसे पर कोई कंट्रोल नहीं किया गया. हालांकि, बाद में लालू यादव ने अपने कुछ मंत्रियों के विभाग जरूर बदलवा दिया, लेकिन तब तक शायद काफी देर हो चुकी थी. शायद देर न भी होती, लेकिन नीतीश कुमार पर लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य की टिप्पणी ने आग में घी का काम कर दिया. नीतीश कुमार की विचारधारा पर सवाल उठाए और फिर ट्वीट डिलीट भी किया. लेकिन, इसके बाद तो जैसे अचानक ही बिहार की राजनीति में तेजी आ गई और सब कुछ साफ होता चला गया.

विरोधी प्लानिंग का हुआ आभास
कहानी यहां से आगे बढ़ती है और अब तो यह बात भी सामने आ रही है कि लालू यादव की ओर से जदयू को तोड़ने की भी प्लानिंग है. जदयू के विधायक गोपाल मंडल ने कुछ ऐसा ही बयान भी दे दिया था कि अगर नीतीश ने पाला बदला तो जब यू टूट जाएगी संभव है. दूसरी और कांग्रेस के विधायकों के भाजपा के संपर्क में होने की बात सामने आ रही है खैर कहानी आगे बढ़ती है कहानी यह है कि नीतीश कुमार को घाव देने का जिम्मेदार कौन था और नीतीश कुमार इतने आहत कैसे हो गए?

कहानी आगे बढ़ती इससे पहले ही..
दरअसल, इसकी कहानी ललन सिंह के जदयू अध्यक्ष बनने से शुरू होती है. ललन सिंह बाद के दौर में लालू यादव के करीब होते चले गए और धीरे-धीरे खबरें आने लगीं कि वह लालू के साथ मिलकर कुछ नई सियासी कहानी बुन रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि यह कहानी जदयू के टूट की खबर से आगे बढ़ती और तेजस्वी यादव को सीएम बनाने पर खत्म होती. दिसंबर महीने में जदयू के 11 विधायकों की मीटिंग राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर हुई भी. कहा जा रहा है कि इसमें जदयू के कई विधायक शामिल हुए और तेजस्वी यादव को सीएम बनाने के लिए जदयू को तोड़ने की योजना भी बनाई गई.

उपेक्षा से आहत हुए नीतीश कुमार
कहानी आगे बढ़ती इससे पहले नीतीश के गुप्तचरों ने सही समय पर खबर पहुंचा दी और लालू यादव का खेल उल्टा पड़ गया. लेकिन इतना तो जरूर हुआ कि इस घटना ने नीतीश कुमार के विश्वास को हिला दिया. हालांकि, ऐसा कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार ने इन सभी बातों को अपने मन में रखा. इंडिया अलायंस की तस्वीर साफ होने का इंतजार किया. लेकिन,  इंडिया अलायंस में कांग्रेस की ओर से सीट शेयरिंग में देरी और तमाम तरह से नीतीश कुमार की उपेक्षा किए जाने से वे बहुत आहत हुए.

अंत में मन भारी कर लिया फैसला
इसके पहले 23 जून 2023 की विपक्षी दलों की बैठक में लालू यादव द्वारा राहुल गांधी को दूल्हा बनाने की बात करने के बाद से ही धीरे-धीरे नीतीश कुमार के मन में दूरी बढ़ती गई. हालांकि उन्होंने काफी वक्त तक इंतजार किया, लेकिन बात नहीं बनी तो अंत में उन्होंने भाजपा के साथ जाने का फैसला कर लिया. हालांकि, अभी भी इसको लेकर स्पष्ट रूप से कोई भी बयान किसी भी पार्टी की ओर से नहीं आया है, लेकिन जैसे संकेत हैं उससे यह तो स्पष्ट है कि नीतीश कुमार को घाव गहरा लगा है और उन्होंने एक बार फिर अपना मन बदल लिया है.

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